गुजरात ( वड़ोदरा ) – आज से ठीक 107 साल पहले बड़ोदरा में एक ऐसी घटना घटी जिसने हिंदुस्तान का इतिहास ही बदल दिया । तब से हर साल 23 सितंबर को आंबेडकर को मानने वाले लोग इस दिन को संकल्प दिवस के रूप में मनाते हैं। दरअसल वड़ोदरा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड ने आंबेडकर को पढ़ने के लिए लंदन भेजा था। लंदन से लौटने के बाद बाबासाहेब आंबेडकर ने वडोदरा में महाराजा के यहां नौकरी भी ज्वाइन कर ली ।लेकिन उनके साथ काम करने वाले लोगों ने उनके साथ छुआछूत को लेकर दुर्व्यवहार शुरु कर दिया। तब बाबासाहेब आंबेडकर के मन में यह विचार आया कि जब मेरे जैसे पढ़े लिखे शख्स के साथ यह अमानवीय व्यवहार हो रहा है तो मेरे समाज के अन्य लोगों के साथ कैसे व्यवहार होता होगा। तब दुखी होकर इसी दिन बाबासाहेब आंबेडकर ने महाराजा की नौकरी छोड़ दी। इसी दिन एक वृक्ष के नीचे बैठकर उन्होंने अन्याय को दूर करने का संकल्प लिया । तब से हर साल इस प्राचीन वृक्ष के नीचे संकल्प दिवस मनाया जाता है।
आज 108 वे संकल्प दिवस के मौके पर केंद्रीय समाज कल्याण मंत्री रामदास आठवले खुद वडोदरा पहुंचे ।इस मौके पर वडोदरा मे एक कार्यक्रम में आयोजित किया गया। जिसमे खास तौर पर मुंबई के पूर्व उप महापौर बाबू भाई भवानजी, ग्लोबल चेंबर्स ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष राजू भाई टॉक , आरपीआई के गुजरात अध्यक्ष अशोक भट्टी,आरपीआई नेता जतिन भुता और शैलेश शुक्ला भी मौजूद थे।
केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने कहा कि डॉ बाबासाहेब आंबेडकर की कामयाबी में वडोदरा के माननीय महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ का महत्वपूर्ण सहयोग रहा। अगर महाराजा उन्हें पढ़ने के लिए लंदन नहीं भेजते तो शायद बाबासाहेब आंबेडकर उतने कामयाब नहीं हो पाते। इसका आभार मानते हुए रामदास आठवले ने राजमाता शुभांगी राजे गायकवाड़ को ताम्र पत्र समर्पित किया।
राजमाता ने इस सम्मान के लिए रामदास आठवले का आभार माना । साथ ही इस बात की खुशी भी जताई कि डॉ बाबासाहेब आंबेडकर को उनकी उपलब्धियों के लिए भारत सरकार ने भारत रत्न से सम्मानित किया। लेकिन राजमाता ने इस बात का अफसोस भी जताया कि बाबा साहेब आंबेडकर को कामयाब बनाने वाले वडोदरा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ को सरकार ने महत्व नही दिया। जबकि महाराजा खुद एक बड़े समाज सुधारक, शिक्षा प्रेमी और महिलाओं के उत्थान के पक्षधर थे। इस बात का जिक्र खुद बाबासाहेब आंबेडकर ने अपनी किताब में किया है। वडोदरा के कई समाज सुधारक कानूनो को आंबेडकर ने भारतीय संविधान में भी शामिल किया जिस पर राजमाता शुभांगी राजे गायकवाड को गर्व है।