भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ संयोजक डॉ भगवान प्रसाद उपाध्याय द्वारा रचित एक सुंदर कविता

Spread the love

भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के संयोजक, कवि , लेखक, साहित्यकार डॉक्टर भगवान प्रसाद उपाध्याय जी द्वारा रचित एक सुंदर कविता भारतवर्ष समाचार के पाठकों के लिए….
_______________________

*कविता*
+++++++++

*पर वह शिव का गरल नहीं है*

डॉ भगवान प्रसाद उपाध्याय

निशिदिन विष का घूंट पी रहे
पर वह शिव का गरल नहीं है
जीवन में अनमोल क्षणों का
वैभव पाना सरल नहीं है

अपनों का अपमान सहन
करना सबसे दुखदायी है
एकाकी जीवन में प्रतिक्षण
सपने बुनना दुखदायी है
फिर यूँ ही अपने मन को
बहला देना सरल नहीं है
निशिदिन विष का घूंट पी रहे
पर वह शिव का गरल नहीं है

स्वान्तसुखों की बलि वेदी पर
परहित का सम्मान कठिन है
सब त्याग तपस्या की रक्षा में
जीवन का उन्मान कठिन है
जिजीविषा से आगे बढ़कर
कदम हटाना सरल नहीं है
निशिदिन विष का घूंट पी रहे
पर वह शिव का गरल नहीं है

संकल्पों की समिधा लेकर
देश – प्रेम की ललक जगायें
मातृभूमि की रक्षा का ब्रत
पालन हेतु स्वयं बलि जायें
हानि -लाभ यश- अपयश को
विस्तृत कर देना सरल नहीं है
निशिदिन विष का घूंट पी रहे
पर वह शिव का गरल नहीं है

निवास :——-
*पत्रकार भवन* गंधियांव,
करछना प्रयागराज , उ० प्र०
पिनकोड- 212301
मोबाइल-9935205341
8299280381

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *