उत्कर्ष हत्याकांड में परिजनों को पुलिस द्वारा लीपापोती करने की आशंका, रेलवे ने किसी भी घटना से किया इंकार

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उत्तर प्रदेश (प्रयागराज ) गत 31 दिसंबर 22 को दिन दहाड़े हुई उत्कर्ष उपाध्याय (18 वर्ष ) जो बीटेक द्वितीय वर्ष का छात्र था और घर से विद्यालय के लिए निकला था , की हत्या के मामले में अभी तक जो पुलिस केवल रेल दुर्घटना की झूठी और मनगढ़ंत कहानी सुना रही थी उसे रेलवे ने सिरे से खारिज करते हुए किसी भी घटना से इनकार किया है | उत्कर्ष के परिजनों द्वारा आरटीआई से जानकारी मांगने पर रेलवे ने किसी भी घटना से साफ इनकार किया है और जांच के दौरान पुलिस ने भी कई जगह हत्या की आशंका जताई है | इसी आधार पर उसने हत्या का मुकदमा भी अज्ञात में दर्ज किया है , फिर भी जांच में हीला हवाली की जा रही है और 3 महीने बीत जानें के बाद भी अभी तक विवेचक द्वारा मोबाइल की डिवाइस लोकेशन तक नहीं निकाली गई , जबकि पुलिस उपायुक्त प्रयागराज कमिश्नरेट के यहां विवेचक को तलब करके इस बात का स्पष्ट निर्देश दिया गया था कि मोबाइल की डिवाइस लोकेशन तत्काल निकाली जाए लेकिन बताते हैं कि पुलिस ने ऐसा अभी तक नहीं किया | यहां तक कि जिन पर परिजनों का मुख्य रूप से संदेह है उसकी सीडीआर निकलवाने से पुलिस आनाकानी कर रही है.
बता दें कि उत्कर्ष की हत्या के बाद साजिश कर्ताओं ने तत्काल इसे रेल दुर्घटना की अफवाह फैलाई और जो लोग इसमें शामिल थे उन सभी ने मिलकर आनन-फानन में उत्कर्ष के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में मुख्य भूमिका निभाई ,परिजनों को बरगला कर उन्हें इस तरह दिग्भ्रमित कर दिया गया कि वे किसी भी निर्णय लेने की स्थिति में नहीं रह गए थे,जिन का इकलौता चिराग बुझ गया हो वह होश हवास खो बैठता है,इसी का पूरा लाभ साजिश कर्ताओं ने लिया और पुलिस को भी अंधेरे में रखा गया,उत्कर्ष का शरीर पूर्व की दिशा में औंधे मुंह रेलवे के बीचो-बीच मिलना और उत्कर्ष के पिता पवनेश कुमार का मोबाइल साजिश कर्ताओं द्वारा लेकर पूरे दिन भर अपने पास रखना,दाह संस्कार के दूसरे दिन ही अन्य परिजनों को भी भ्रमित करना और तीसरे दिन से सभी साजिशकर्ताओं का गधे के सिर से सींग की तरह गायब हो जाना जो बुलाने पर भी पीड़ित पत्रकार परिवार के घर नहीं आ रहे थे,पुलिस ने हत्या की घटना के 15 दिन बाद प्राथमिकी दर्ज की और जांच के नाम पर खाना पूरी होती रही,हत्या के एक महीने बाद परिजनों और सैकड़ों पत्रकारों ने करछना थाने पर धरना भी दिया और जांच बदलने का प्रार्थना पत्र दिया गया किंतु पुलिस स्वयं का गुनाह छिपाने के लिए जांच बदलने को तैयार नहीं है,जांच अधिकारी द्वारा अभी भी वही झूठी मनगढ़ंत कहानी लोगों को सुनाई जाती है,ज्ञपरिजनों द्वारा जनसुनवाई पोर्टल मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री गृह सचिव उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय डीजीपी लायन आर्डर आदि को पत्र द्वारा प्रार्थना पत्र देकर पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी गई और प्रत्येक जगह जांच बदलने की मांग की गई यहाँ तक कि कई पत्रकार संगठन के पदाधिकारियों ने भी इसमें अपनी ओर से पत्र भेजकर घटना का खुलासा करने की मांग की परंतु प्रदेश सरकार के निरंकुश पुलिसकर्मी अभी तक कुछ नहीं कर पाए बार-बार जनप्रतिनिधियों द्वारा भी इस मामले की जानकारी लेने की कोशिश की गई किंतु उन्हें भी सही तथ्यों से अवगत नहीं कराया गया,वांछित संदिग्ध लोगों को बचाने में लगी करछना पुलिस की इस संदेहास्पद कार्यप्रणाली से आम जन का विश्वास उठता जा रहा है,कहने को तो वर्तमान सरकार ढिंढोरा पीसती है कि वह न्याय देने में कतई पीछे नहीं है,किंतु एक पत्रकार परिवार साढ़े तीन महीने से न्याय की भीख मांग रहा है ,हर अधिकारियों के दरवाजे पर चक्कर लगा रहा है और सभी सक्षम लोगों को प्रार्थना पत्र दे रहा है फिर भी सूबे के मुखिया समेत सभी लोग कान में तेल डाले बैठे हैं,वर्तमान सरकार में पीड़ित पत्रकार परिवार की कोई सुनने वाला नहीं है,ऐसे में भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के पत्रकार उत्पीड़न निवारण प्रकोष्ठ के प्रभारी कमल नारायण शुक्ल ने चेतावनी दी है कि यदि इस मामले में अब और अधिक लापरवाही बरती गई तथा अपराधी को सबूत मिटाने का समय दिया गया,तो प्रदेश व्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा,भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुनेश्वर मिश्र जी ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि जब वर्तमान प्रदेश सरकार लोकतंत्र के चतुर्थ स्तंभ के साथ इस तरह का व्यवहार कर सकती है तो आमजन के लिए उससे और क्या अपेक्षा की जा सकती है? राष्ट्रीय मुख्य महासचिव मथुरा प्रसाद धुरिया जी ने कहा कि यदि पुलिस की मंशा किसी पत्रकार संगठन की छवि धूमिल करने की होगी तो वह कभी कामयाब नहीं होने दी जाएगी,भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष प्रभा शंकर ओझा प्रांतीय मुख्य महासचिव मधुसूदन सिंह मंडल अध्यक्ष प्रयागराज अजय कुमार पांडे जिला अध्यक्ष प्रयागराज रमाकांत त्रिपाठी सहित प्रदेश भर के पत्रकारों ने एक बार फिर सरकार के सक्षम अधिकारियों से आग्रह किया है कि वह इस घटना का निष्पक्ष रुप से खुलासा करें और दोषियों को गिरफ्तार करें.यदि ऐसा नहीं होता है तो विवश होकर पत्रकार महासंघ आंदोलन की राह पर उतरने को मजबूर हो जाएगा,उधर कई प्रमुख समाजसेवियों और किसानों ने भी हुंकार भरी है कि यदि चतुर्थ स्तंभ की सुरक्षा नहीं की गई तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं.

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