धंधा बंद होने से मुंबई के लाखों फेरीवालों के परिवार भुखमरी की कगार पर: सयुक्त फेरीवाला महासंघ.

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महाराष्ट्र (मुंबई) धंधा बंद होने से मुंबई के लाखों फेरीवालों के परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। गरीबी और विषाद की स्थिति में फेरीवालों द्वारा आत्महत्या जैसा अप्रिय कदम उठाए जाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
संयुक्त फेरीवाला महासंघ, मुंबई द्वारा आजाद मैदान में हाल ही में मुंबई के फेरीवालों की तरफ विराट मोर्चा आयोजित किया गया था,जिसमें हजारों फेरीवाले आए थे। पिछले कई महीनों से मुंबई के फेरीवालों को धंधा नहीं करने दिया जा रहा है जिस कारण उनके घर का चूल्हा नहीं जल रहा है, बच्चों की पढ़ाई बंद है तथा बीमार लोगों का इलाज नहीं हो पा रहा है।अब ऐसी स्थिति में वह जीना नही चाहते, उनको न्याय दिलाने के लिए आजाद मैदान में आंदोलन किया गया था ,जिसका नेतृत्व मुंबई के भाजपा हॉकर्स यूनिट के अध्यक्ष बाबूभाई भवानजी( Ex डेप्युटी मेयर मुंबई), भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री आर. यू. सिंहजी और संजय यादव ने किया था , इस आंदोलन में सभी हॉकर्स यूनियन/संगठन ने एक मंच पर आकर एकता दिखाई।इस आंदोलन में RPI के श्री हरिहर यादव,आजाद हॉकर्स यूनियन के श्री दयाशंकर सिंह जी, RSS के श्री जितेन्द्र सालुंखेजी , जितेन्द्र गुप्ता , जितेन्द्र कामले,मापनकर, शिवाजी सुले, जयशंकर दयाशंकर सिंह, सलमा शेख, रजनी साउ, संlतराम शिंदे, राजेंद्र पाउले,राकेश गुप्ता, इत्यादि ने फेरीवालो की समस्याओं की जानकारी दी ,इस आंदोलन में महाराष्ट्र सरकार के मंत्री श्री उदय सामंत ने कहा कि जल्द ही फेरीवालो की समस्या का समाधान किया जाएगा। विधान सभा में फेरीवालों के प्रतिनिधि मंडल ने महाराष्ट्र सरकार के मंत्री श्री शंभुराज देसाई, जी को आवेदन पत्र दिया,इस प्रतिनिधी मंडल में विधायकश्री प्रसाद लाड, विधायक श्री कालिदास कोलमकर, विधायक श्री रामकदम, श्री बाबूभाई भवानजी, श्री आर यू सिंहजी, संजय यादव,जयशंकर दयाशंकरजी जितेन्द्र कामले, ने फेरीवालों की समस्या रखी।
*मुंबई जैसे महानगर में पिछले 20 से 50 वर्षों से ईमानदारी से अपना व्यवसाय कर रहे लाखों फेरीवालों पर, मुंबई महानगरपालिका एवं पुलिस प्रशासन द्वारा लगातार अन्यायपूर्ण एवं कठोर कार्रवाई की जा रही है। इन कार्रवाइयों में वर्षों से स्थापित फेरीवालों को बेदखल किया जा रहा है, जिससे उनकी जीविका पर संकट उत्पन्न हो गया है।
पिछले कई दशकों से अनुशासित और वैध रूप से व्यवसाय करने वाले फेरीवालों को सड़क से हटाना अमानवीय और अन्यायपूर्ण है।*सम्मानपूर्वक जीविकोपार्जन का अधिकार सभी को है।
*सवाल उठता है केंद्र व राज्य की नीतियों में विरोधाभास क्यों है ! जहां एक ओर केंद्र सरकार ‘प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना’, पीएमईजीपी एवं मुद्रा योजना जैसी पहल के माध्यम से स्व-रोजगार को बढ़ावा देती है, वहीं दूसरी ओर मुंबई महापालिका और पुलिस प्रशासन इन्हीं स्वरोजगारों को अवैध ठहराकर बंद करवा रही है। फेरीवालों को अपराधी की तरह देखा जा रहा है। यह कौनसा तरीका है,*पूर्व प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने 2004 में फेरीवालों के लिए कानून बनाया ,यह नियमबद्ध फेरीवाला नीति तुरंत लागू हो।
मुंबई के फेरीवाले अनुशासित और व्यवस्थित फेरी व्यवसाय के पक्षधर हैं। मुंबई महापालिका इस कानून का इंप्लीमेंट करके फेरीवालों को लाइसेंस देने चाहिए और निर्धारित शुल्क के माध्यम से राजस्व अर्जित करना चाहिए ,जिससे नगर निगम को सैकड़ों करोड़ की आय हो सकती है। यह बात मुंबई भाजपा हॉकर्स यूनिट के अध्यक्ष पूर्व उपमहापौर बाबुभाई भवानजी ने की है।

*महंगाई को नियंत्रित रखने वाले फेरीवाले मुंबई, ठाणे, कल्याण सहित उपनगरों में रहने वाला 80% गरीब एवं मध्यम वर्ग दैनिक आवश्यक वस्तुएं,जैसे कपड़े, सब्ज़ियां, फल, किराना आदि फेरीवालों से ही खरीदता है। मॉल या ब्रांडेड दुकानों से खरीदारी उनकी आर्थिक पहुंच से बाहर है। मुंबई का आम नागरिक फेरीवालों पर निर्भर है। वहीं महाराष्ट्र के पालघर, रायगढ़ जैसे जिलों के किसान सीधे मुंबई में कृषि उत्पाद बेचते हैं – अब उन्हें भी रोका जा रहा है।
फेरीवाले रोजगार उत्पन्न करने वाले हैं ओर मध्यम वर्ग, गरीब उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर वस्तुएं उपलब्ध कराते हैं, जिससे महंगाई में राहत मिलती है,किसानों , छोटे कारखानेदार, कारीगरो और गृह उद्योगों को सीधा बाजार उपलब्ध कराते हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देते हैं।

*उनकी प्रमुख मांगें*
*उन्हें वैध व्यवसाय निर्बाध रूप से जारी रखने दिया जाए*सभी पात्र फेरीवालों को लाइसेंस एवं स्थान आवंटित किए जाएं*
*वह अनुशासित एवं नियमबद्ध व्यवसाय हेतु पूर्णतः तैयार हैं*
*वर्षों से स्थापित फेरीवालों को बेवजह बेदखल न किया जाए*
*अवैध अतिक्रमण और घुसपैठ पर सख्त कार्यवाही की जाए ,फेरीवालों को व्यवसाय सम्मानपूर्वक करने दिया जाए।

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