काव्य का सौन्दर्य बोध वसन्त में स्वत: द्विगुणित हो जाता है — विश्वबंधु

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उत्तर प्रदेश ( प्रयागराज ) –

काव्य का सौन्दर्य बोध वसन्त ऋतु में स्वत: द्विगुणित होकर स्फूर्तिमान हो उठता है और कवि कल्पना लोक के मनोभाव शब्दों में पिरोने लगता है.

उपरोक्त उद्गार ख्यातिलब्ध साहित्यकार योगेन्द्र कुमार मिश्र ‘ विश्वबंधु ‘ ने उस समय व्यक्त किये जब वह आज सिविल लाइन कार्यालय में भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के साहित्य प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित कवि गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में कवियों को संबोधित कर रहे थे. श्री विश्वबंधु ने अपनी कविता प्रस्तुत करने के पूर्व प्रत्येक माह में तीसरे रविवार को साहित्य गोष्ठी आयोजित करने के प्रस्ताव पर उपस्थित कवियों को प्रोत्साहन देने के लिए सम्मानित करने पर बल दिया. उन्होंने कहा कि सार्थक सृजन के लिए नवोदित रचनाकारों को प्रत्येक माह में सम्मानित किया जाना चाहिए.

गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के साहित्य प्रकोष्ठ उत्तर प्रदेश के सह प्रभारी डॉक्टर राम लखन चौरसिया वागीश ने कहा कि प्रकोष्ठ से जुड़े समस्त साहित्यकारों को पत्रिका एवं प्रकाशन की पुस्तकों में प्राथमिकता दी जाएगी तथा समय-समय पर विभिन्न पुस्तकों और नवोदित के रचनाकारों की रचनाओं पर समीक्षा गोष्ठी भी आयोजित की जाएगी. उन्होंने अपने धारदार दोहे प्रस्तुत कर गोष्ठी को गरिमा मय बनाया. कवि गोष्ठी का श्रीगणेश शंभूनाथ श्रीवास्तव की सरस्वती वंदना से हुआ और उन्होंने अपनी प्रयाग महिमा की रचना का पाठ करके सबके हृदय को जीत लिया. पंडित राकेश मालवीय मुस्कान ने होली पर कुंडलिया प्रस्तुत की और काव्य गोष्ठी को ऊंचाई प्रदान की. गोष्ठी का संचालन कर रहे डॉ भगवान प्रसाद उपाध्याय ने अपनी रचनाओं से सबको आह्लादित किया और आस्वस्त किया कि हर महीने होने वाली इस गोष्ठी को महासंघ की मासिक पत्रिका में प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया जाएगा. आगत अतिथियों का अभिनंदन कार्यालय महासचिव श्यामसुंदर सिंह पटेल ने किया और मां सरस्वती के चित्र पर मुख्य अतिथि द्वारा माल्यार्पण के पश्चात कवियों का स्वागत भी किया. योगेन्द्र कुमार मिश्र विश्वबंधु , डॉ राम लखन चौरसिया वागीश , शंभु नाथ श्रीवास्तव , पंडित राकेश मालवीय मुस्कान, डॉ भगवान प्रसाद उपाध्याय को गोष्टी के अंत में साहित्यिक उपहार प्रदान किया गया.

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