जीएसटी (GST) में बदलाव एमएसएमई (MSME) इंडस्ट्रीज को देगा बढ़ावा एवं समर्थन 100 जिले 100 स्वदेशी क्लस्टर एमएसएमई पार्क का लक्ष्य – डॉ. नितिन शर्मा

Spread the love

नई दिल्ली – भारतीय अर्थव्यवस्था में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (MSME) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र न केवल देश के सबसे बड़े रोजगार प्रदाताओं में से एक है बल्कि ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में आर्थिक आत्मनिर्भरता को भी मज़बूती प्रदान करता है। ऐसे में सरकार द्वारा किया गया बदलाव एमएसएमई (MSME) सेक्टर के लिए नई संभावनाओं और सुविधाओं के द्वार खोलेगा।
अभी किए गए GST बदलावों में लगभग सभी उत्पाद msme एवं स्मॉल इंडस्ट्रीज में ही बन रहे हे बड़े उद्योगों के भी पार्ट्स इन्हीं छोटे उद्योगों में ही बन रहे है. रोजमर्रा की चीजें जैसे हेयर ऑयल, सोप, ब्रश ,खाने पीने की चीजें नमकीन ,बटर ,पनीर , दुग्ध उत्पाद , नक्शे चार्ट , ग्लोब और लाभग सारे उत्पाद का मूल msme एवं स्मॉल इंडस्ट्रीज है, ऐसे में इनकी gst दरों में बदलाव इन उद्योगों को बढ़ावा देगा साथ ही कंज्यूमर्स को भी बड़ी राहत मिलेगी.
बीमा क्षेत्र में भी बदलाव लोगो को राहत देगा एवं लोगो का रुझान इन उत्पादों के लिए बढ़ाएगा एमएसएमई प्रोमोशन काउंसिल(MSME Promotion council india) समस्त भारत में इन बदलावों से हुए परिवर्तनों को आम जनता को बता कर एमएसएमई (MSME) उद्योग लगाने के लिए प्रेरित करेगी।उल्लेखनीय हे कि एमएसएमई (MSME PCI) समस्त भारत में स्वदेशी लिमिटेड के साथ मिल कर स्वदेशी प्रोत्साहन के लिए 100 जिले 100 एमएसएमई (MSME) पार्क पर कार्य कर रही हैं जहां पर क्लस्टर में वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट्स (ODOP)एवं अन्य उत्पादों की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स लगाई जा सकेगी। इसमें सौ क्लस्टर में दस हजार यूनिट्स का विकसित भारत 2047 में सहयोग के लिए विजनरी लक्ष्य रखा गया है। प्रधानमंत्री स्वयं विकसित भारत 2047 के ब्रांड एम्बेसडर है। इसके अलावा एक महत्वपूर्ण बात यह हे कि जीएसटी (GST) की प्रक्रिया को आसान बनाया गया है,इसका अर्थ है यह है कि अब कारोबार करने वालों को टैक्स से जुड़े नियमों और कानूनों पर कम खर्च करना पड़ेगा,एवं वे ग्राहक एवं नवाचारों पर ज्यादा फोकस कर पाएंगे. एवं वे उत्पादन एवं गुणवत्ता पर ज्यादा फोकस कर पाएंगे.
पूर्व में किए गए एमएसएमई (MSME) के लिए जीएसटी (GST) में प्रमुख बदलाव
1) अनुपालन(कंप्लायंस) में सरलता
पहले एमएसएमई (MSME) इकाइयों को हर महीने रिटर्न फाइल करना पड़ता था, जिससे समय और धन दोनों की बर्बादी होती थी। अब तिमाही आधार पर रिटर्न दाखिल करने की सुविधा मिलने से छोटे उद्योगों का बोझ कम हुआ है।
2. टर्नओवर लिमिट में बढ़ोतरी
कंपोज़िशन स्कीम की सीमा बढ़ाए जाने से अधिक MSME इकाइयाँ अब कम टैक्स दरों का लाभ ले पा रही हैं।
3. ई-इनवॉयसिंग और डिजिटलीकरण
डिजिटल माध्यम से बिलिंग और टैक्स भुगतान आसान हो गया है। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ी है बल्कि एमएसएमई (MSME)को बड़े उद्योगों और सरकारी टेंडर्स में प्रतिस्पर्धा करने का अवसर भी मिला है।
4. वर्किंग कैपिटल में सुधार
पहले GST रिफंड में देरी से एमएसएमई की पूंजी फंसी रहती थी। अब रिफंड प्रक्रिया तेज़ और पारदर्शी हो गई है, जिससे उद्यमों की तरलता (liquidity) बनी रहती है।
MSME सेक्टर को मिलने वाले लाभ
लागत में कमी और समय की बचत
बड़े बाज़ार तक आसान पहुँच
निर्यात इकाइयों को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त
औपचारिक अर्थव्यवस्था में MSMEs का समावेशन
निष्कर्ष
GST में किए गए बदलावों ने MSME सेक्टर के लिए व्यवसाय करने की सरलता (Ease of Doing Business) को बढ़ाया है। इससे न केवल उद्यमियों का आत्मविश्वास बढ़ा है बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ और ‘विकसित भारत 2047’ जैसे राष्ट्रीय विज़न को भी गति मिली है।
इस प्रकार, यह कहा जा सकता है कि GST सुधार MSME उद्योगों को नई दिशा और ऊर्जा प्रदान कर रहे हैं, और आने वाले समय में यह क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था का और अधिक मज़बूत स्तंभ बनेगा।
MSME PCI के MD & सीईओ ने उक्त विचार कल वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के GST बदलावों पर रखे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *