योगीराज श्री भारत भूषण भारतेंदु जी महाराज ने गुजरात के डाकोर स्थित रणछोड़ राय मंदिर में किया पूजा अर्चना.

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गुजरात(डाकोर)-
ब्रह्मर्षि योगीराज श्री भारत भूषण भारतेंदु जी महाराज – संस्थापक श्री हरि नारायण सेवा संस्थान, पालघर (मुंबई, महाराष्ट्र), अखिल भारतीय जैन दिवाकर मंच, नई दिल्ली संत प्रकोष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं भाजपा आध्यात्मिक आघाड़ी योग प्रमुख, महाराष्ट्र प्रदेश – का पावन आगमन डाकोर के पवित्र तीर्थक्षेत्र में हुआ।

महाराजश्री ने सर्वप्रथम रणछोड़ राय मंदिर में पूजन-अर्चन कर भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन किए और तत्पश्चात दावोजी महादेव मंदिर में विशेष आरती संपन्न की।

इस अवसर पर दावोजी मंदिर के मुख्य पुजारी श्री अधिकारी महाराज जी से गहन चर्चा भी हुई। चर्चा का मुख्य विषय रहा सनातन संस्कृति के प्रति युवाओं और नई पीढ़ी का आकर्षण कैसे बढ़े, साथ ही गुरुकुल की स्थापना की भी इच्छा प्रकट की गई।

योगीराज महाराज जी ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा
“हर देवालय हो विद्यालय और हर विद्यालय हो संस्कारालय” यही भविष्य की आवश्यकता है। मंदिर केवल पूजा स्थली न रहकर शिक्षा, संस्कृति और संस्कार का केंद्र बने और विद्यालय केवल पढ़ाई तक सीमित न रहकर चरित्र निर्माण का गढ़ बने।
इस संवाद में संस्थान के गुरुकुल कुलपति श्री राम मणि त्रिपाठी जी ने भी अपने अमूल्य विचार रखे और कहा
यदि बच्चों और युवाओं को भारतीय संस्कृति के मूल्यों से जोड़ना है तो शिक्षा और धर्म का समन्वय अनिवार्य है। गुरुकुल परंपरा इस दिशा में सेतु का कार्य कर सकती है।

मंदिरों की विशेषताएँ
रणछोड़ राय मंदिर-
18वीं शताब्दी का भव्य मंदिर, जिसकी वास्तुकला में 8 गुम्बद और 24 मीनारें शामिल हैं। यहाँ भगवान श्रीकृष्ण ‘रणछोड़ राय’ स्वरूप में प्रतिष्ठित हैं।

*दावोजी महादेव मंदिर*
डाकोर का प्राचीन शिव तीर्थ, जिसने इस क्षेत्र को डंकापुर नाम प्रदान किया। यहाँ महाशिवरात्रि और सावन मास में विशेष पूजन-अर्चन का आयोजन होता है।

महाराजश्री ने दोनों मंदिरों में दर्शन के उपरांत कहा”डाकोर की भूमि वैष्णव और शैव परंपराओं की अद्भुत संगमस्थली है” यहाँ से प्रेरणा लेकर हमें नई पीढ़ी में संस्कार, आस्था और राष्ट्रभावना जागृत करनी होगी।
दर्शन व चर्चा के बाद योगीराज महाराज जी ने भगवान श्रीकृष्ण को बांसुरी वादन समर्पित किया और भावपूर्ण भजन “एक राधा, एक मीरा” प्रस्तुत किया, जिससे सम्पूर्ण वातावरण भक्ति और दिव्यता से सरोबार हो उठा।

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