श्री हनुमान पुस्तकालय को पांच सौ से अधिक पुस्तकों का मिला अनुदान

Spread the love

करछना ( प्रयागराज ) –
श्री हनुमान पुस्तकालय गंधियांव करछना प्रयागराज उ० प्र० को अब तक देश भर के एक सौ आठ सहृदय साहित्यकारों ने पांच सौ से अधिक पुस्तकों का अनुदान भेजकर पुस्तकालय को समृद्ध बनाने में अपना योगदान दिया है, जिनको आगामी दो अक्टूबर को साहित्य संवाहक सम्मान प्रदान करने की घोषणा की जाएगी |
उक्त जानकारी श्री हनुमान पुस्तकालय के व्यवस्थापक डॉ ० भगवान प्रसाद उपाध्याय ने दी है. उन्होंने बताया कि पुस्तकालय की संरक्षक संस्थाओं द्वारा समय-समय पर विभिन्न आयोजनों के माध्यम से अब तक दस हजार रुपये मूल्य से अधिक पुस्तकें एकत्र करके श्री हनुमान पुस्तकालय को भेंट स्वरूप प्रदान की गई हैं, जिनमें 108 साहित्यकारों की लगभग 500 से अधिक पुस्तकें शामिल हैं.बंगलुरु से अंजना वर्मा,कानपुर से डा० उदय नारायण उदय जबलपुर से देवेंद्र कुमार मिश्र विलासपुर से श्रीमती तुलसी देवी तिवारी , कानपुर से कौशल पाण्डेय प्रयागराज से डा० शंभु नाथ त्रिपाठी अंशुल आदि सहित एक सौ आठ से अधिक विद्वानों ने पुस्तकें अनुदान स्वरूप भेजी हैं . डॉ० उपाध्याय ने बताया कि मौलिक विचार एवं साहित्यिक सर्जना की प्रतिनिधि मासिक पत्रिका *साहित्यांजलि प्रभा* उत्तर भारत की सुपरिचित साहित्यिक संस्था *तारिका विचार मंच प्रयाग* अवध क्षेत्र की संस्कृति और साहित्य के संवर्धन को समर्पित संस्था *अवध साहित्य अकादमी* अखिल भारतीय साहित्यिक सांस्कृतिक चेतना का अभिनव प्रकल्प *साहित्योत्कर्ष* प्रयागराज से प्रकाशित हिन्दी दैनिक पवन प्रभात द्वारा प्रवर्तित *पवन प्रभात साहित्य मंच*
के साथ साथ भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के सौजन्य सहयोग से यह संभव हो रहा है. उल्लेखनीय है कि श्री हनुमान पुस्तकालय की स्थापना लाल बहादुर शास्त्री जयंती के अवसर पर 2 अक्टूबर 1976 को की गई थी तब से अब तक पुस्तकालय द्वारा विभिन्न साहित्यिक आयोजन एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ-साथ खेलकूद एवं चिकित्सा शिविर आदि आयोजित किए जाते रहे हैं,और समय-समय पर विभिन्न प्रतियोगिताओं द्वारा छात्रों को भी सम्मानित किया जाता रहा है. इस समय सरस्वती बाल मंदिर जूनियर हाईस्कूल के साथ संचालित श्री हनुमान पुस्तकालय अपनी गतिविधियों के लिए विगत साढ़े चार दशक से अधिक समय से सक्रिय है.पुस्तकालय द्वारा शोधार्थियों के लिए शीघ्र ही एक संदर्भ कक्ष की स्थापना का भी निर्णय लिया गया है और बिना किसी सरकारी अनुदान के यमुना पार क्षेत्र का यह ऐसा पुस्तकालय है जिसमें लगभग पन्द्रह हजार से अधिक पुस्तकें और पत्रिकाएं एकत्र की गई हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *