जौनपुर के कुटीर महाविद्यालय में योगीराज भारत भूषण भारतेंदु जी द्वारा नाद योग और योगाभ्यास की कार्यशाला हुआ संपन्न.

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संस्कृति और कला ने जोड़े लोगों के दिल – योगीराज भारत भूषण भारतेंदु की नाद योग और संगीत प्रस्तुति

उत्तर प्रदेश (जौनपुर) – भारत की समृद्ध संस्कृति और कला को सजीव करते हुए योगीराज श्री भारत भूषण भारतेंदु जी महाराज (संस्थापक, श्री हरि नारायण सेवा संस्थान, पालघर, मुंबई, महाराष्ट्र; राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, संत प्रकोष्ठ – अखिल भारतीय जैन दिवाकर मंच, नई दिल्ली) ने कुटीर संस्थान परिसर में नाद योग और योगाभ्यास की अनूठी कार्यशाला का आयोजन १किया।

कार्यक्रम की शुरुआत में योगीराज ने नाद योग के महत्व को समझाते हुए बताया कि यह प्राचीन भारतीय साधना पद्धति है, जो ध्वनि और कंपन के माध्यम से मन, शरीर और आत्मा को संतुलित व शुद्ध करती है। नाद योग के अभ्यास से व्यक्ति अपने जीवन में गहन शांति, एकाग्रता और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव कर सकता है। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को विभिन्न योग मुद्राओं, उल्टी-सीधी श्वास (प्राणायाम) और बूटी योग का अभ्यास कराया।

विशेष आकर्षण के रूप में, योगीराज ने मराठी के प्रसिद्ध भजन “पाउले चालती पंढरीची वाट” को बांसुरी पर प्रस्तुत किया, जिसे उपस्थित जनसमूह ने अत्यंत सराहा। इस प्रस्तुति ने स्पष्ट किया कि कला ही वह सूत्र है जो लोगों के दिलों को जोड़ती है।

कुटीर संस्थान के व्यवस्थापक डॉ. अजयेंद्र कुमार दुबे ने अपने अभिनंदन भाषण में कहा कि समाज में संगीत और योग के प्रति जागरूकता आवश्यक है, क्योंकि विद्यालय ही शालीनता और चरित्र निर्माण की पहली पाठशाला है। उन्होंने रेखांकित किया कि योग जोड़कर चलना सिखाता है और संगीत एकाग्रता प्रदान करता है।
कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन प्रो. राघवेंद्र कुमार पाण्डेय ने किया। इस अवसर पर डॉ. चित्रसेन गुप्त, डॉ. विनय कुमार पाठक, डॉ. सी.बी. पाठक, डॉ. योगेश पाठक, विद्यानिवास मिश्र, वाचस्पति त्रिपाठी, डॉ. राहुल अवस्थी, ओमकार तिवारी, श्रवण मिश्र सहित अनेक प्राध्यापक, प्राध्यापिकाएं एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. अनुज कुमार शुक्ला, अश्विनी तिवारी एवं शुभम पांडे ने किया। अंत में योगीराज ने माउथ ऑर्गन से राष्ट्रगान के साथ समापन किया।

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