मुंबई का विकास पिछले 10 वर्षों में क्यों और कैसे हुआ, भाजपा नेता बाबुभाई भवानजी ने बताया.

Spread the love

महाराष्ट्र (मुंबई) -भाजपा के वरिष्ठ हिन्दुत्ववादी नेता और मुंबई के पूर्व उपमहापौर बाबुभाई भवानजी ने एक प्रेस नोट में कहा कि मुंबई का सर्वांगीण विकास पिछले 10 वर्षों में क्यों हुआ?*

*भविष्य में मुंबई का विकास होना है, यह कोई आज समझ में आई नई बात नहीं है! नीति–निर्माताओं को बहुत पहले से पता था कि भविष्य में मुंबई विकास का केंद्र बनेगी। फिर भी, वैश्विक स्तर की वित्तीय सुविधाएँ, किफायती आवास, आधुनिक बंदरगाह, सड़कों का जाल, औद्योगिक और लॉजिस्टिक कॉरिडोर बनाने के प्रयास पिछले 40 वर्षों में क्यों नहीं हुए? यह स्वाभाविक प्रश्न है
मुंबई का विकास पिछले 10 वर्षों में क्यों हुआ?

एशिया के टोक्यो, सियोल, बीजिंग, शंघाई और कुआलालंपुर के मुकाबले मुंबई की तुलना न हो पाना यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
स्वतंत्रता के बाद भारत के शासकों के पास इच्छा-शक्ति और दृष्टि होने के बावजूद मुंबई को विश्वस्तरीय शहर बनाने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं हुए। यही मुंबईकरों की पीड़ा है।

ब्रिटिश काल में सात द्वीपों को विकसित कर मुंबई को व्यापार की ‘सोने की खदान’ बनाया गया था। देश के विभिन्न राज्यों से लोग यहाँ आकर बसे और विकास बढ़ाया। स्वतंत्रता पूर्व भी मुंबई देश की आर्थिक राजधानी थी।

बॉम्बे प्लान’ जैसे दूरदर्शी विचार राजनीतिक कारणों से लागू नहीं हो सके। देश विकसित होता रहा, लेकिन मुंबई का ठोस विकास पीछे रह गया।

मुंबई पिछड़ क्यों गई?

देश के हर हिस्से का आदमी रोजगार के लिए मुंबई पहुँचता है  लेकिन इसके लिए आवश्यक आधारभूत सुविधाओं के विकास की राजनीतिक इच्छा–शक्ति लंबे समय तक नहीं थी।
भौगोलिक रूप से मुंबई समुद्र और खाड़ी से घिरी  जमीन कम, विस्तार मुश्किल। इसलिए ठाणे, पालघर और रायगढ़ विस्तार की दिशा में आगे बढ़े।
जब सबको पता था कि भविष्य में मुंबई विकास का केंद्र बनेगी, तो आधुनिक सड़कें, बंदरगाह, वित्तीय बाजार की सुविधाएँ, मेट्रो जैसे प्रोजेक्ट पहले क्यों नहीं बने? यही सबसे बड़ा प्रश्न है।

मुंबई और दिल्ली : वित्तीय खींचतान
महाराष्ट्र ने एक समय दिल्ली की गद्दी की रखवाली की फिर भी अपनी ही मुंबई के आर्थिक विकास के लिए दिल्ली से अनुमति लेनी पड़े  यह दुखद है।

भारत माता के विकास का सबसे बड़ा भार यदि किसी एक शहर ने वर्षों तक उठाया है तो वह है मुंबई।
फिर भी दिल्ली के नेतृत्व ने वर्षों तक मुंबई को दूसरा दर्जा दिया।

पिछले 10 वर्षों के प्रमुख विकास प्रोजेक्ट
2015
118 किमी मेट्रो नेटवर्क को मंजूरी,
MUTP के तहत कई रेलवे/सड़क परियोजनाएँ
*कोलाबा–सीप्ज मेट्रो को मंजूरी
2016
मुंबई ट्रांस-हार्बर लिंक (MTHL) शुरू,
2017
विरार,दहाणू–चिरनेर,अलीबाग मल्टीमॉडल कॉरिडोर का खाका,
2018
खाड़ी से मुंबई जोड़ने वाले पुल निर्माण को गति
MMRDA क्षेत्र की प्रमुख मेट्रो परियोजनाएँ.

1). *डीएन नगर–मंडाले*
2.) *वडाला–कासरवडवली*
3). *ठाणे–कल्याण*
4). *स्वामी समर्थ नगर–जोगेश्वरी*
5). *दहिसर–मीरा भायंदर*
6). *कफ परेड–गोरेगांव*
7). कल्याण तळोजा
8). ठाणे,बोरीवली बाईपास
9). ऑरेंज गेट–मरीन ड्राइव सुरंग
10) ठाणे,घायमुख,फाउंटेन बाईपास

बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की चुनौतियाँ. परियोजना ग्रस्तों को मुआवज़ा, कर्ज जुटाने में समय, जमीन अधिग्रहण, पर्यावरण स्वीकृतियाँ, क्रियान्वयन में राजनीतिक दृष्टिकोणकेंद्र–राज्य समन्वय, दिल्ली मेट्रो बनाम मुंबई मेट्रो दिल्ली मेट्रो के 410 किमी बनाने में 14 वर्ष लगे।

मुंबई में 115 किमी मेट्रो बनाने में 8 वर्षों के साथ 36% अतिरिक्त समय और 33% अधिक लागत लगी।

मुंबई का आर्थिक योगदान और अन्याय
मुंबई हर साल केंद्र को हजारों करोड़ रुपये कर के रूप में देती है,
लेकिन बदले में मिलने वाला वित्तीय हिस्सा बहुत कम है।

16वें वित्त आयोग ने भी माना कि MMR देश को सबसे अधिक राजस्व देता है — इसलिए यहाँ इन्फ्रास्ट्रक्चर में ज़्यादा निवेश होना चाहिए।

दस वर्षों की आशा के वर्ष.

पिछले दशक में एक के बाद एक महाप्रोजेक्ट:*

समुद्री मेट्रो सुरंग

कोस्टल रोड

ट्रांस हार्बर ‘अटल’ सेतु

कई मेट्रो मार्ग

मुंबईकरों की पीड़ा ‘लाइफ़लाइन’ लोकल ट्रेन

मुंबईकरों के लिए लोकल ट्रेन जीवनरेखा है, लेकिन वर्षों तक उपेक्षित रही.

2–3 घंटे की रोज़ाना यात्रा का तनाव

ओवरक्राउडिंग से हादसे
पुराने पुल, कमजोर आधुनिकीकरण

*रायगढ़, ठाणे, पालघर से आने वाले यात्रियों का बढ़ता दबाव*
*लोकल ट्रेन और पूर्व–पश्चिम कनेक्टिविटी सुधरे बिना मुंबई का भविष्य असंभव है।*
*Urban Agglomeration और आर्थिक भूगोल*

*MMRDA क्षेत्र में:*
सेवा क्षेत्र का तेज विकास, कुशल,अकुशल मानव संसाधन

उद्योगों का समूह (Agglomeration)

नई शहरी प्रणालियाँ
नगरपालिकाओं में समन्वय आवश्यक
*पिछले 10 वर्षों में इस दिशा में गंभीर प्रयास शुरू हुए हैं।*
मुंबई इन मिनिट्स (Mumbai in Minutes) भविष्य की महत्वाकांक्षी योजना

MMRDA के अनुसार ,मेट्रो, सड़क, फ्लाईओवर, सुरंगों के उपयोग सेMMRDA में कहीं भी 59 मिनट में पहुँचने का लक्ष्य है। भारत की 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था में मुंबई का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है।

आगामी दशक में मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति बनाए रखना — यही मुंबई की सबसे बड़ी आवश्यकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *