उत्तर प्रदेश करछना ( प्रयागराज ) –
भारतीय लोकतांत्रिक किसान सेना की संस्थापक मुख्य महासचिव स्व ० कंचन देवी की आठवीं पुण्यतिथि पर गाँवसभा खाईं में एक कवि सम्मेलन का आयोजन सेना की महिला प्रकोष्ठ अध्यक्ष कु ज्योति पाण्डेय की अध्यक्षता में किया गया जिसमें मुख्य अतिथि मेजा के पूर्व ब्लॉक प्रमुख मुन्नन शुक्ल जी रहे. कवि सम्मेलन का संचालन कर रहे डा० राजेन्द्र शुक्ल ने सरस्वती वन्दना करके श्री गणेश किया और अपने समसामयिक दोहों और गीतों से उपस्थित अपार जन समूह को गंभीर चिंतन के धरातल पर लाकर खड़ा कर दिया. ओज और वीर रस के ख्याति लब्ध कवि बबलू सिंह बहियारी ने मातृभूमि की वंदना के साथ-साथ ऐसा ओजस्वी गीत पढ़ा जिससे श्रोता वाह-वाह कर रोमांचित हो उठे और देर तक तालियां गूंजती रहीं. गजलों के शहंशाह कहे जाने वाले कृष्ण कुमार कामिल ने आमजन को जोड़ते हुए अपनी गजलें प्रस्तुत कीं जिससे श्रोता मंत्र मुग्ध हो गए और रोमांच से भरपूर वाह-वाह कर उठे. कामिल की गजलें सचमुच उपस्थित जन समूह को कुछ सोचने पर विवश कर रही थीं. इसके पश्चात मंच पर आए धुरंधर हास्य कवि और पूरे क्षेत्र में बेशर्म जी के नाम से चर्चित अशोक बेशरम ने श्रोताओं को खूब हंसाया गुदगुदाया और कुछ सोचने पर भी मजबूर किया. उनके हास्य में भी कोई न कोई संदेश अवश्य छिपा था. बहुत देर तक श्रोताओं को बांधे रखने में सफल हास्य कवि अशोक बेशरम के लिए एक और एक और की ध्वनि पंडाल से गूंजने लगी तो फिर बेशर्म ने अपनी हास्य कविताओं से जमकर तालियां बटोरी. एक बहुचर्चित वीर रस के कवि डॉ वीरेंद्र कुसुमाकर ने जब सेना के अमर शाहीद के शव की काव्यमय व्याख्या करुण रस में प्रस्तुत की तो श्रोताओं की आंखें बरबस नाम हो गईं. एक बार मंच पर सभी उपस्थित जन एकटक ठिठक कर कविता में डूब गए. अपने सुरमई गीतों के लिए ख्याति प्राप्त वरिष्ठ साहित्यकार जिनकी रचनाएं इंटरमीडिएट के हिंदी पाठ्यक्रम में भी आ चुकी हैं वरिष्ठ संपादक डॉ भगवान प्रसाद उपाध्याय ने किसानों का अभिवादन करते हुए अपनी एक नवगीत प्रस्तुत की जिसमें उन्होंने गांव के परिवर्तित स्वरूप को व्याख्यायित किया. सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेश चंद्र उपाध्याय ने आभार ज्ञापन से पहले सभी कवियों और मंचासीन अतिथियों को माल्यार्पण करके शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया और देर शाम तक भारी संख्या में जुटे हुए श्रोताओं को भी सुमधुर जलपान कराया. इस अवसर पर प्रदीप सिंह, घनश्याम मिश्रा, कमलाकर तिवारी, नागेश्वर मिश्रा, दीनानाथ यादव आदि अनेक संभ्रांत जनों के विचार भी सुनने को मिला.