श्रीरामचरित मानस को विश्व धरोहर घोषित करना प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व का विषय: भवानजी

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महाराष्ट्र ( मुंबई )-  वरिष्ठ भाजपा नेता और मुंबई के पूर्व उप महापौर बाबूभाई भवानजी ने श्री रामचरित मानस को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित किए जाने पर खुशी जाहिर की है और इसे भारतीय संस्कृति के लिए गौरवपूर्ण क्षण करार दिया है।

आज यहां जारी एक बयान में भवानजी ने कहा कि श्रीरामचरित मानस भारतीय संस्कृति का आधार है। भारतीय जन मानस इसी धर्मग्रंथ से प्रेरणा लेता है। सदियों से राम चरित मानस ने भारतीय समुदाय को जीने की राह दिखाई है। यूनेस्को के इस कदम पर प्रत्येक भारतीय को गर्व है।

उन्होंने कहा कि मानस को विश्व धरोहर घोषित किए जाने पर हर गांव में कार्यक्रम आयोजित होने चाहिए और इस गौरवपूर्ण क्षण का जश्न मनाया जाना चाहिए।

बता दें कि रामचरितमानस की सचित्र पांडुलिपियां और पंचतंत्र दंतकथाओं की 15वीं शताब्दी की पांडुलिपि को यूनेस्को ने अपने ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रीजनल रजिस्टर’ में स्थान दिया है।

गोस्‍वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस और पंचतंत्र की कथाओं को अब पूरी दुनिया में मान्यता मिल गई है।

रामचरितमानस की सचित्र पांडुलिपियां और पंचतंत्र दंतकथाओं की 15वीं शताब्दी की पांडुलिपि को यूनेस्को ने अपने ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रीजनल रजिस्टर’ में स्थान दिया है। 2024 के संस्‍करण में एशिया पैसिफिक की 20 धरोहरों को शामिल किया गया है, जिनमें रामचरित मानस और पंचतंत्र के साथ ही सहृदयालोक-लोकन की पांडुलिपि भी है।

श्रीरामचरितमानस, पंचतंत्र और सहृदयलोक-लोकन को ‘यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर’ में शामिल किया गया है। यह समाचार हर भारतवासी के लिए गौरव का क्षण है। देश की समृद्ध साहित्यिक विरासत और सांस्कृतिक विरासत की पुष्टि है।

भवानजी ने कहा कि यूनेस्को की यह घोषणा ऐसे समय हुई है जब अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बन चुका है और रोज लाखों राम भक्त अपने राम लला के दर्शन कर धन्य हो रहे हैं।

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