प्रयागराज-
पूर्ण लोकतांत्रिक व्यवस्था से संचालित देश भर के माननीय संपादकों पत्रकारों और पत्रकार संगठनों के हितों की रक्षा के लिए कृत संकल्पित भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ स्तर हीन और घटिया विचार वालों तथा प्रदूषित मानसिकता रखने वालों को समय-समय पर संगठन से निष्कासित करता रहता है.ऐसे ही कुछ स्वार्थी तत्वों को पिछले दिनों संगठन से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया जिससे वे खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे वाली कहावत चरितार्थ कर रहे हैं और सोशल मीडिया का दुरुपयोग करके अपनी घृणित मानसिकता का परिचय दे रहे है.
उपरोक्त विचार भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक डॉक्टर भगवान प्रसाद उपाध्याय ने उस समय व्यक्त किए जब भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ की केंद्रीय संचालन समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक में कुछ गंभीर विषयों पर चिंतन किया जा रहा था और कुछ लोगों को संगठन से निष्कासित करने के प्रश्न के उत्तर में उन्होंने बताया कि महासंघ एक ऐसा संगठन है जिसमें शुद्धीकरण का अभियान निरंतर जारी रहता है और अपनी अकर्मण्यता का दोष संगठन के शीर्ष पदाधिकारियों पर देने वाले पद के भिखारियों को समय-समय पर चेतावनी देने के बाद भी यदि अपनी कुत्सित मानसिकता का परित्याग नहीं करते तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है.डॉ उपाध्याय ने बताया कि आगामी 30 मई को लखनऊ में होने वाली प्रदेश कार्यसमिति की बैठक बहुत महत्वपूर्ण इसलिए हो जाएगी कि इसमें कई बिंदुओं पर बहुत कठोर निर्णय लिए जाएंगे और महासंघ के संविधान का अनुपालन न करने वालों के लिए किसी तरह की संभावना समाप्त कर दी जाएगी.संचालन समिति में अपने विचार व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय महासचिव कार्यालय श्याम सुंदर सिंह पटेल ने बताया कि जो संगठन हित के अतिरिक्त अपने निजी हित की अधिक चिंता करते हैं और अपना उल्लू सीधा ना होने पर संगठन पर अनर्गल आरोप लगाते रहते हैं ऐसे लोगों से संगठन को सावधान रहने की जरूरत है.जो पद लोलुपता में अंधे होकर बिना सदस्यता शुल्क जमा किए अपने पद पर चिपके रहना चाहते हैं और कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी अपने पूर्व पद का उल्लेख करते रहते हैं ऐसे लोग अपनी तहसील इकाई को ही नहीं संभाल पाते वे प्रदेश में पदाधिकारी बने रहने का दिवास्वप्न देखते हैं. ऐसे घटिया लोगों को संगठन से निकालना ही सर्वथा उचित होता है.श्री पटेल ने बताया कि भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ की अनुशासन समिति को निष्क्रिय लोगों की सूची देकर जांच प्रकोष्ठ से उसकी आख्या मांगी जाती है और उनकी वर्ष पर्यंत गतिविधियों का सर्वेक्षण करने के पश्चात उन्हें पद मुक्त करने का निर्णय लिया जाता है.जब तक वह संगठन में बने रहते हैं तब तक संगठन उनकी दृष्टि में अच्छा रहता है और जैसे ही निष्कासित हो जाते हैं संगठन पर गंदी राजनीति के तहत अनर्गल आरोप लगाने लगते हैं इससे उनकी प्रदूषित मानसिकता का पता चल जाता है.
भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष और बीमा प्रकोष्ठ के प्रभारी शिव शंकर पांडेय(झूंसी)ने कहा कि कई ऐसे पदाधिकारी अभी भी पद पर बने रहने की कुचेष्टा करते हैं जो न तो समय पर शुल्क जमा करते हैं और ना संवाददाता डायरी में दिए गए स्वयं की ओर से विज्ञापन का भुगतान करते हैं.कुछ ऐसे भी हैं जिनका शुल्क बकाया होने पर जब उनसे इस विषय में बात की जाती है तो वह संगठन पर ही दोषारोपण करने लगते हैं. ऐसी गिरी हुई प्रवृति के लोगों को संगठन में लेने से पहले अब भविष्य में कई बार विचार किया जाएगा.भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुनेश्वर मिश्र ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि भविष्य में अब गहन जांच पड़ताल के बाद केवल स्वच्छ छवि के पत्रकारों को ही महासंघ में शामिल किया जाए और संख्या बल के बजाय गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाए क्योंकि कभी-कभी अधिक संख्या में जोगी मठ उजाड़ देते हैं और उनकी स्वास्थ्य पूर्ति न होने पर वे पूरे संगठन को बदनाम करने की कुत्सित राजनीति में लग जाते हैं.हमें आगे संगठन को और अधिक सशक्त बनाना है इसलिए अब केवल वरिष्ठ और सक्रिय साथियों को ही किसी जिम्मेदारी पर रखने का निर्णय लिया जाएगा.ऐसे लोगों को सर्वथा पद मुक्त कर देना ही उचित है.
जो अपने दायित्व का निर्वाह निष्ठा पूर्वक नहीं करते और एन केन प्रकारेण पद पाने के बाद मौन धारण कर लेते हैं. श्री मिश्र ने कहा कि सभी प्रकोष्ठ एवं सभी इकाइयों को एक बार फिर से परिमार्जित करने की जरूरत है,और सोए हुए पदाधिकारियों को न जागने पर उन्हें सोते रहने दिया जाए. इस महत्वपूर्ण बैठक में भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के कई वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित रहे और आगामी 30 मई के आयोजन को सफल बनाने का सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया.
स्तरहीन और प्रदूषित विचारधारा वाले पत्रकारों को भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ ने दिखाया बाहर का रास्ता.
